MSP rate:किसानों के लिए बड़ी खबर एमएसपी में हुई बढ़ोतरी
बता दें कि इन बीते 8 सालों में देश में एमएसपी में काफी बढ़ोतरी हुई है.साथ ही धान एवं गेहूं की खरीद और खरीदने का दायरा भी पहले से कहीं ज्यादा गुना बढ़ चुका है
एमएसपी मिनिमम सपोर्ट प्राइस अर्थात न्यूनतम समर्थन मूल्य आधारित खरीद प्रणाली है, जिसका उद्देश्य भारत में उगने वाले सभी फसलों को प्रभावित करने वाले कारक जैसे मॉनसून सूचनाओं की कमी इत्यादि से होने वाले उनकी कीमतों में उतार चढाव को नियंत्रित करना है.
बता दें कि इन बीते 8 सालों में देश में एमएसपी में काफी बढ़ोतरी हुई है.साथ ही धान एवं गेहूं की खरीद और खरीदने का दायरा भी पहले से कहीं ज्यादा गुना बढ़ चुका है जो कि किसानों के लिए एक बहुत अच्छी खबर है.केंद्र सरकार द्वारा यह किसानों के लिए एक अच्छी खबर है कि उनकी मिनिमम सपोर्ट प्राइस में पिछले 8 सालों में जितने बढ़ोतरी नहीं की गई थी, उतना इस साल में बढ़ोतरी की गई है.
मीडिया रिपोर्ट की मानें तो खाद्य मंत्रालय के आधिकारिक सुबोध सिंह ने जानकारी देते हुए बताया है कि मार्केटिंग सीजन 2013-14 और 2021-22 के बीच के हुआ धान की केंद्रीय खरीद में काफी बढ़ोतरी हुई है.साथ ही भारत के खाद्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया है कि पिछले 8 सालों में ज्यादा गेहूं और धान की खरीद की गई है जिसके कारण 8 सालों में प्राइस और मात्रा काफी अधिक हो गई है.
बता दे कि सरकार द्वारा ज्यादा राज्यों से बनारस की खरीदारी की जा रही है जिसके अंतर्गत हिमाचल प्रदेश, असम और त्रिपुरा जैसे राज्य आते हैं जिन्होंने अनाज का खरीद का दारापना ज्यादा बढ़ा लिया है तथा एमएसपी का लाभ उठा रहे हैं.इसके साथ ही एफसीआई ने राजस्थान से धान की खरीदारी करना भी शुरू कर दिया है.
चलिए अब बात करते हैं कि आखिर कितना गुना एमएसपी में इन 8 सालों में बढ़ोतरी हुई है.बता दें कि गेहूं की एमएसपी बढ़कर 2125 रुपए प्रति क्विंटल कर दी गई है. जबकि यह पिछले 2013-14 वर्षों में ₹1350 ही थी.इसका मतलब यह निकलता है कि इसमें 57 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. साथ ही धान की बात करें तो धान के मामले में एमएसपी 2013-14 के वर्ष में ₹1345प्रति क्विंटल थी, जबकि अभी के समय में यह 2060 प्रति क्विंटल के हिसाब से बिक रही है जिसका अर्थ यह हुआ कि धान में 53 प्रतिशत एमएसपी की बढ़ोतरी हुई है.
साथ ही मार्केटिंग की बात करें तो 2021-22 में धान की खरीद साल 2013 और 2014 के अपेक्षा 475.30 लाख टन से बढ़कर 857 टन हो गया है.
मीडिया रिपोर्ट की मानें तो फिलहाल अभी 9 राज्यों से मोटे अनाज की खरीदारी होती है जिसमें से कर्नाटक महाराष्ट्र मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड, तमिलनाडु उड़ीसा शामिल है.