Fatima Shaikh : फातिमा शेख है भारत की पहली मुस्लिम शिक्षिका, शोषितों-वंचितों को पढ़ाने के लिए लगा दी थी अपनी जान पढ़े इनकी कहानी

हमारे देश में कई ऐसे महान पुरुष और महिलाओं ने जन्म लिया है जिन्होंने केवल अपने लिए ही कार्य नहीं किए बल्कि पूरे समाज की भलाई के लिए कार्य किए हैं। ऐसी कई महिलाएं हैं और पुरुष भी जिन्होंने समाज की भलाई के लिए और समाज के लोगों के लिए कार्य किए हैं।
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हमारे देश में कई ऐसे महान पुरुष और महिलाओं ने जन्म लिया है जिन्होंने केवल अपने लिए ही कार्य नहीं किए बल्कि पूरे समाज की भलाई के लिए कार्य किए हैं। ऐसी कई महिलाएं हैं और पुरुष भी जिन्होंने समाज की भलाई के लिए और समाज के लोगों के लिए कार्य किए हैं। ऐसी ही एक औरत है जिनका नाम फातिमा शेख (Fatima Shaikh) है.

फातिमा शेख देश की पहली मुस्लिम शिक्षिका के रूप में जाने जाते हैं।उन्होंने देश के शोषित और वंचित लोगों को पढ़ाने के लिए अपनी जान तक दे दी थी। वह एक मुस्लिम परिवार से होने के बावजूद शिक्षा के प्रति इतनी अग्रसर कि उन्होंने न केवल  शिक्षिका बनके दिखाया बल्कि सभी को शिक्षित करने के लिए अग्रसर प्रयास भी किए।

इनका जन्म 9 जनवरी 1931 को महाराष्ट्र के पुणे शहर में हुआ था।उस्मान शेख की बहन थी। क्या आप जानते हैं उस मानसिक व शक्तियों से जिनके घर पर ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले रहते थे।जैसा कि आप जानते हैं कि मुस्लिम वर्ग में औरतों की इतनी आजादी नहीं दी जाती है लेकिन बजाए उसके फातिमा शेख ने ना केवल पढ़ाई कर शिक्षिका बनी बल्कि मुस्लिम महिलाओं के शिक्षा के लिए भी अहम कदम उठाए। इतना ही नहीं। उन्होंने कई लोगों को शिक्षित करने के लिए अपनी जान लगा दी।

बता दे कि उन्होंने देश के स्वदेशी पुस्तकालय की स्थापना की थी। साथ ही उन्होंने लड़कियों के लिए भारत में फूल बनाने के लिए भी अहम भूमिका निभाई थी। वहीं उन्होंने शोषित और वंचितों को पढ़ाने के लिए भी कई अग्रसर प्रयास किया था।सावित्रीबाई फुले से तो आप परिचित ही होंगे। वह निचली जातियों की महिलाओं और बच्चों को हक दिलाने और उन्हें शिक्षित करने की लड़ाई लड़की थी और उन्हीं का साथ देने में फातिमा शेख ने अहम भूमिका निभाई। वह हमेशा उनका साथ देती थी।