Bhopal News। ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित महिला ने विभिन्न चिकित्सकों से उपचार कराया था। कैंसर की पहचान होने पर चिकित्सकों ने उन्हें पूरे शरीर का पीईटी सीटी स्कैन कराने का सुझाव दिया। इसके बाद चिकित्सकों ने स्कैन करने के बाद रिपोर्ट में लिखा कि सब कुछ ठीक है और उनका यूटेरस और ओवरी अर्थात गर्भााशय भी सामान्य है।
जबकि उनका गर्भाशय पहले ही निकाल दिया गया था। इससे सामने आ गया कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के दौरान लापरवाही पूर्वक बनाई रिपोर्ट में गलत लिखा है। इस लापरवाही से मरीज काफी आहत हुईं। उन्होंने उपभोक्ता आयोग की शरण ली। मामले में आयोग ने मरीज को पांच लाख रुपये मानसिक क्षतिपूर्ति राशि, 18 हजार रुपये और वाद-व्यय के रूप में 25 हजार रुपये देने के आदेश दिए हैं।
राजधानी के अयोध्या बायपास निवासी नीलम त्रिपाठी ने सान्या डायग्नोसटिक्स के प्रबंधक व सीनियर कंसलटेंट डा. अरविंद कुमार जैन, डा. सिकंदर कुमार और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के खिलाफ पिछले वर्ष याचिका लगाई थी। मामले में आयोग की अध्यक्ष गिरीबाला सिंह, सदस्य अंजुम फिरोज व सदस्य अरूण प्रताप सिंह ने मरीज के पक्ष में एक साल बाद निर्णय सुनाया।
आयोग ने फटकार लगाते हुए मरीज की ओर से प्रस्तुत जांच रिपोर्ट के आधार पर कहा कि गलत रिपोर्ट होने के कारण कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के इलाज में देर हुई। इस कारण मरीज मानसिक रूप से परेशान हुआ। आयोग ने कहा कि मानव जीवन बहुमूल्य है एवं मरीजों के साथ लापरवाही नहीं की जा सकती है।
रिपोर्ट में यूटेरस व ओवरी को सामान्य लिखा जाना बहुत बड़ी लापरवाही थी। वहीं चिकित्सकों ने तर्क रखा कि जांच रिपोर्ट में टाइपिंग की गलती के कारण ऐसा हुआ। इस कारण मरीज को परेशान होना पड़ा और कैंसर के इलाज में देरी हुई। आयोग ने मानसिक क्षतिपूर्ति के लिए दो माह के अंदर मरीज को पांच लाख रुपये देने के लिए निर्देश दिए।