किराए पर घर देने वाले जरूर पढ़े ये खबर, सामने आई बड़ी अपडेट फटाफट जाने

इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 24 के अनुसार इनकम फ्रॉम हाउस प्रॉपर्टी में इस इनकम को टैक्सेबल कहा जाता है.
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रेंटल इनकम टैक्स
Rental Income : अगर आपने भी अपने घर में किराएदार रखे हुए हैं तो आपके लिए महत्वपूर्ण सूचना! दरअसल आपको बता दें की गाय दारू से जो किराए के पैसे यानी रेंटल इनकम आप वसूलते हैं उस पर भी आपको टैक्स देना होगा. बता दें कि घर या किसी अतिरिक्त प्रॉपर्टी से होने वाली कमाई टैक्सेबल इनकम के अंतर्गत मानी जाती है. दरअसल, इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 24 के अनुसार इनकम फ्रॉम हाउस प्रॉपर्टी में इस इनकम को टैक्सेबल कहा जाता है. अगर आप इसके बारे में और जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो चले इस आर्टिकल के जरिए आपको विस्तार से बताते हैं. क्योंकि अगर आपको इसकी जानकारी पूर्ण स्वरूप नहीं होगी तो आपको किराए से होने वाली इनकम के पैसों पर काफी टैक्स देना पड़ सकता है. लेकिन कुछ सावधानी बरतने और नॉलेज से आप अधिक टैक्स देने से बच सकेंगे. 
आपको बता दें कि सरकार का ऐसा मानना है कि लोग अपने लैंड व प्रॉपर्टी या घर खरीदने में इन्वेस्ट करें. जिसके लिए सरकार इस पर काफी छूट भी प्रदान करती है. यही कारण है कि आप नियमपूर्वक सेक्शन 24 का पालन करके बहुत से टैक्स इंसेंटिव से लाभान्वित हो सकते हैं. बता दें कि होम लोन पर भी टैक्स में 2 लाख रु. तक की छूट प्रदान किया गया है. अगर किसी व्यक्ति ने होम लोन लेकर घर खरीदा है और उसे किराए पर देने का सोच रहें हैं तो जानकारी के लिए बता दें कि 24 बी के अनुसार लोन के इंटरेस्ट पर 2 लाख तक की छूट प्राप्त होती हैं. साथ ही कुछ अन्य नियमों के आधार पर आप 1.5 लाख तक टैक्स का फायदा उठा सकते हैं. इन नियमों के बारे में विस्तार से बात करें तो–
•जाइंट प्रॉपर्टी से फायदा
अगर किसी व्यक्ति ने किसी और के साथ मिलकर प्रॉपर्टी परचेज की है तो उनकी टैक्स लायबिलिटी काम हो सकती है. सेक्शन 24 और 80EEA ओनर और कोओनर बेनिफिट ले सकते हैं.
•म्युनिसिपल टैक्स डिडक्शन
बता दें कि एक मकान पर विभिन्न तरह के टैक्स लगते हैं जैसे सीवेज टैक्स, प्रॉपर्टी टैक्स आदि. इन टैक्स पर भी आप अपनी लायबिलिटी कम कर सकते हैं. बक्शरते आप यह टैक्स स्वयं भरें. अगर किराएदार ये टैक्स जमा करता होगा तो आपको टैक्स में छूट नहीं मिल सकता है.
•मेंटेनेंस चार्ज
अगर आप मेंटेनेंस चार्ज को जोड़कर किराएदार से किराया वसूलते हैं तो, ये रकम भी आपकी इनकम में ही मानी जाएगी. एग्रीमेंट करते समय ही आपको ये प्रावधान करना होगा कि मेंटेनेंस चार्ज सीधे सोसायटी को दिया जाए. जिसे आपकी इनकम कम गिनी जाती है.