रीवा: तराई अंचल के डभौरा में ताप विद्युत परियोजना स्थापित करने के नाम पर दो कंपनियों को मध्यप्रदेश शासन ने जमीन मुहैया कराई थी, लेकिन 14 साल गुजर जाने के बाद उद्योग नहीं लगाए गए।
- कंपनी ने पावर पावर प्रोजेक्ट बनाने के लिए बैंक से भी लिया 1700 करोड रुपए !
- भाजपा सरकार में साधी चुप्पी
अब किसानों ने छल करने की बात कहते हुए आक्रोश व्यक्त किया है और जनांदोलन की चेतावनी दी है। बताया कि औने-पौने दाम पर किसानों से 1361 एकड़ जमीन ले ली गई थी।
वर्ष 2010 में मध्य प्रदेश सरकार ने खजुराहो में इंवेस्टर समिट किया था। उस समय 35 उद्योगपतियों से विंध्य क्षेत्र में उद्योग लगाने के लिए शासन एवं उद्योगपतियों के बीच करार हुआ था। रीवा जिले के डभौरा अंचल में अभिजीत वेंचर्स लिमिटेड से 1320 मेगावाट एवं वीडियोकॉन इंडस्ट्री लिमिटेड से 36 सौ मेगावाट विद्युत उत्पादन के लिए 2 वर्ष के अंदर थर्मल पावर प्लांट स्थापित करने का करार किया गया था। दोनों कंपनियों द्वारा किसानों से ओने पौने दामों पर 1361 एकड़ भूमि इस शर्त पर खरीदी की गई की जमीन देने वाले किसानों के बेरोजगार युवकों को कंपनी में रोजगार दिया जाएगा।
साथ ही कंपनी का सिंगरौली से कोयला आपूर्ति एवं टमस नदी से पानी देने की स्वीकृति भी शासन द्वारा दी जा चुकी थी। कंपनियों द्वारा जन सुनवाई के दौरान अपना पूरा प्रोजेक्ट भी जनता के समक्ष प्रस्तुत किया गया, साथ ही मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 7 जनवरी 2012 को स्वीकृत प्रदान की गई। क्षेत्र के किसान बेरोजगार एवं व्यापारी इस ताप विद्युत परियोजना के स्थापना को लेकर काफी उत्साहित थे कि रोजगार के साथ-साथ क्षेत्र का विकास होगा। किंतु यह परियोजना अधर में रह गई है।
रोजगार के लिए पलायन कर रहे युवक
तराई अंचल का जवा डभौरा क्षेत्र रीवा जिले का सबसे पिछड़ा क्षेत्र है, लेकिन इसके बाद भी यहां रोजगार के कोई अवसर नहीं बनाए गए हैं। क्षेत्रीय युवा एवं मजदूर काम के लिए दूसरे प्रदेशों में पलायन कर रहे हैं। जिन किसानों की भूमि सस्ते दामों में खरीदी गई उसका उपयोग भी नहीं हो रहा, यदि उद्योग स्थापित हो जाते तो क्षेत्रीय बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिलता।